देवदत्त
2012-01-01 14:51
Vadodara,Vadodara,Gujarat,India
सूची
सूची | शीर्षक |
---|---|
1 | आपके प्रश्न का उत्तर |
2 | कुंडली के भावों का विश्लेषण |
A. पहला भाव (घर) – व्यक्तित्व और प्रकृति | |
B. दूसरा और तीसरा भाव – धन/संपत्ति और परिवार | |
C. चौथा भाव- खुशी और संपत्ति | |
D. पांचवा भाव- प्रेम और संतान | |
E. सांतवा भाव- वैवाहिक जीवन और भागीदारी | |
F. छठवां, आठवां और बारहवां भाव- स्वास्थ्य, पीड़ा और जिम्मेदारी | |
G. नौवां भाव- यात्रा, भाग्य और आध्यात्म | |
H. दसवां भाव- कॅरियर और व्यवसाय | |
I. ग्यारहवां भाव- लाभ, प्राप्ति और मित्र | |
3 | आपकी कुंडली में योग |
4 | आपकी कुंडली में दोषों |
5 | आपकी जन्म प्रोफ़ाइल |
A. सामान्य जानकारी – ज्योतिषीय विवरण – पंचांग विवरण – भाग्यशाली बिंदु | |
B. अवकहडा चक्र – घात चक्र – निरयन ग्रह/ग्रहों की अवस्था – अष्टक वर्ग | |
C. स्थायी मित्रता – अस्थायी मित्रता – पंचधा या यौगिक या दीर्घावधि मित्र | |
6 | पंचांग राशिफल |
7 | आपका जन्म चार्ट |
A. लग्न कुंडली – चंद्र कुंडली – सूर्य कुंडली | |
B. अष्टक वर्ग कुंडली – भाव कुंडली (चालित कुंडली) | |
C. D2 कुंडली To D12 कुंडली | |
8 | व्यक्तिगत उपाय |
आपके प्रश्न का उत्तर
प्रिय देवदत्त, आपके प्रश्न के उत्तर में बताना चाहूंगी कि आपके विवाह होने का संभावित समय 17 अक्टूबर 2023 से 16 फरवरी 2024 है. यदि किसी कारणवश इस समय में आप का विवाह नहीं हो पाता है तो ऐसी स्थिति में आपके विवाह होने की संभावना थोड़ा देरी से है जो कि संभवत 2 सितंबर 2024 से 21 जून 2025 के बीच है।
जहां तक आपके प्रेम का संबंध है- आपकी जन्म पत्रिका आपके प्रेम संबंधों को तो दर्शाती है परंतु उनका विवाह में परिवर्तन हो जाना की संभावना कम दिखाई देती है. अतः आपको अपने विवाह के लिए अरेंज मैरिज की ही कामना रखनी चाहिए।
आपकी जन्म पत्रिका के सप्तम भाव में मंगल है जो मांगलिक की स्थिति बनाते हैं- अतः का निर्णय लेने से पूर्व, अपनी और अपनी भावी जीवनसंगिनी की जन्मपत्रिका की जांच किसी योग्य ज्योतिषी से अवश्य करा लें।
आपकी जन्म पत्रिका में जो ग्रह आपके प्रेम संबंधों को रिप्रेजेंट करते हैं, वह शुक्र हैं जोकि अष्टम भाव में राहु के साथ हैं, यह बाधाओं का भाव है. इसके अतिरिक्त आपकी जन्म पत्रिका के सप्तम भाव में नीच राशि में मंगल स्थित हैं, अतः आप को भगवान श्री शिव और हनुमान जी की उपासना ना केवल विवाह के लिए अपितु सुखी वैवाहिक जीवन के लिए भी करनी अनिवार्य है।
जहां तक आपके कैरियर का प्रश्न है- आपके दशम भाव में, चंद्रमा है आपके कार्य व्यवसाय का संबंध या तो यात्राओं से अधिक होगा. आने वाले समय में आपका भविष्य करें के दृष्टिकोण से अच्छा है, ऐसी संभावना है कि आप अपना खुद का बिजनेस अपने 32 वर्ष की आयु के पश्चात शुरू कर सकते हैं, परंतु और समय-समय पर आपके कार्यक्षेत्र में, करियर में बाधाएं रह सकती हैं।
भाव के अनुरूप विश्लेषण
पहला भाव (घर) – व्यक्तित्व और प्रकृति
आपके स्वभाव में अपार धैर्य है। आपका विश्वास है कि धीमा चलने वाला ही स्थिर रहता है और विजयी व सफल होता है। अपनी अथक और निरंतर कठिन श्रम की कार्यशैली से आप दूसरों के लिए एक मिसाल कायम करते हैं और मुश्किल कामों को अंजाम देते हैं। आपको जो काम सौंपा गया है, वह रास्ते में बाधाओं के बावजूद निश्चित रूप से सिद्ध होगा।
दूसरा और तीसरा भाव – धन/संपत्ति और परिवार
आप की आय के एक से अधिक साधन हो सकते हैँ और आपको स्वयं ही धन अर्जित करना होगा। आप काफी धन अर्जित करने में सफल होंगए परंतु आपको धन भविष्य के लिए संचित करने की विशेष कोशिश करनी होगी।आय और खर्च में संतुलन रखना आवश्यक है। अपने लेन-देन में बहुत सावधानी रखनी होगी, परिवार के सदस्यों के साथ धन का लेन-देन कम से कम करें। आपको परिवार से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाएगा परंतु आप परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे । आपकी जन्मपत्रिका में बिजनस से लाभ का भी योग है।
चौथा भाव- खुशी और संपत्ति
आपका घरेलू जीवन सामान्य रहेगा, लेकिन आपको वह सब कुछ मिलेगा जो आप चाहते हैं। आप जीवन में आराम और सुख का अनुभव करेंगे। आप अक्सर अन्य लोगों के लिए आवाज उठाते हैं, यह आपको एक लोकप्रिय व्यक्ति बनाता है। आप आमतौर पर दूसरों की मदद लेना पसंद नहीं करते हैं।आप अपने संबंधों के बारे में बहुत संवेदनशील हैं, आपके नाम पर एक से अधिक संपत्तियाँ हो सकती हैं, परंतु आपको हमेशा यह ध्यान रखना होगा, कि जमीन के कानूनी पक्ष की जांच अवश्य करनी होगी।
पांचवा भाव- प्रेम और संतान
आप प्यार के मामले में बहुत भावुक हैं और चाहते हैं कि प्यार जीवन की ताकत बने।आपके प्रेम जीवन में उतार-चढ़ाव रहेंगे। आप रुकावट के बाद भी किसी व्यावसायिक शिक्षा के लिए 28 फ़रवरी 2028 के बाद जा सकते हैं आप किसी विषय पर बड़ी रिसर्च का एक हिस्सा बनेंगे।
सांतवा भाव- वैवाहिक जीवन और भागीदारी
दांपत्य जीवन में सामंजस्य बनाए रखने के लिए आपको प्रयास करने होंगे।आप दोनों के विचारों में मतभेद हो सकता है। आपके मन में हमेशा कुछ ना कुछ बराबर चलता रहता है, जो आपके संबंधों को प्रभावित करता है। यदि आप अपनी विचार प्रक्रिया में यह छोटा सा बदलाव ला पाएँ, तो आप अधिक खुश होंगे और जीवन में अधिक सौहार्द बना रह सकता है।आपको बिजनेस पार्टनरशिप से बचना चाहिए, अगर आप पार्टनरशिप के लिए जाएँ तो पूरी पारदर्शिता रखें।
छठवां, आठवां और बारहवां भाव- स्वास्थ्य, पीड़ा और जिम्मेदारी
आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है। आपको अपने कार्यक्षेत्र में ज्यादा आगे बढ़ने की चाह में अपने स्वास्थ्य की अनदेखी नहीं चाहिए और प्रतिरक्षा प्रणाली को प्राकृतिक जड़ी -बूटियों का प्रयोग करना चाहिए। 28 मई 2030 तथा 31 अक्टूबर 2032 तक का समय थोड़ा संवेदनशील है और आपको स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। सुनिश्चित करें कि आप स्वस्थ और ताजा भोजन ही लें।
नौवां भाव- यात्रा, भाग्य और आध्यात्म
भाग्य के स्वामी आपके लिए बहुत अनुकूल नहीं हैं और आपके प्रयासों का उचित प्रतिफल भी आपको कठिन प्रयास और देरी से मिलता है। यद्यपि आपके भाग्य के स्वामी बुध भी अपनी राशि में है, परंतु परंतु वे पूरी तरह से अस्त हैं और अपने परिणाम देने में सक्षम नहीं है। भाग्य से लाभ लेने के लिए आपको भगवान श्री गणेश जी की उपासना करनी चाहिए तथा एक अच्छी क्वालिटी का पन्ना रत्न धारण कर लेना चाहिए। आध्यात्म के संबंध में आपके मन में बहुत सारे प्रश्न हैं और आप किसी विद्वान व्यक्ति से संतोषजनक उत्तर चाहते हैं।
दसवां भाव- कॅरियर और व्यवसाय
आप अपने व्यावसायिक क्षेत्र में धीरे-धीरे बढ़ेंगे । आप स्पष्टवादी और महत्वाकांक्षी हैं और हमेशा आगे रहना चाहते हैं। आपके पास वास्तव में स्पष्ट दृष्टि है। दूसरों के लिए आपकी निरंतरता को छूना भी मुश्किल है। आपमें प्रतिस्पर्धा की भावना बहुत अधिक है। आपके लिए हर प्रतियोगिता एक युद्ध है और आपको इसमें से प्रत्येक को जीतने की जरूरत है, आप अपनी महत्वाकांक्षाओं को अपने उत्कृष्ट काम करने के तरीके से पूरा करते हैं।आप साहित्यिक या कलात्मक क्षेत्र में भी उन्नति कर सकती हैं। आप हमेशा नई चीजें सीखने की कोशिश करती हैं और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का अध्ययन करने के लिए अक्सर इच्छा रखती हैं।
ग्यारहवां भाव- लाभ, प्राप्ति और मित्र
ग्रह आपकी आय के विभिन्न स्रोतों की ओर प्रेरित करते हैं। व्यापार में आपको सफलता मिलेगी। वित्तीय स्थिति में उतार-चढ़ाव होगा क्योंकि आप काभी – काभी दूसरों की बातों में आकर शॉर्टकट या जोखिम भरे निवेश में शामिल हो जाती हैं। आर्थिक मामलों में जल्दबाजी में निर्णय लेने से बचें। आपको हनुमान जी और देवी दुर्गा की पूजा पाठ करने चाहिएँ।
अमला योग
परिभाषा
जब जन्मलग्न अथवा चन्द्रलग्न से दशम स्थान में कोई शुभ ग्रह स्थित हो और उस पर कोई पाप प्रभाव ना हो तो जन्मपत्रिका में अमला योग का निर्माण होता है।
भविष्यफल
अमला योग में जन्म लेने वाला जातक सफ़ल, सम्पन्न स्थायी सम्पत्तिवाला होता है। अमला योग एक ऐसा ही शुभ राजयोग है। जिस जातक की जन्मपत्रिका में अमला योग होता है उसे जीवन में सफ़लता प्राप्त होती है, उसे धन-यश-पद-प्रतिष्ठा सब कुछ प्राप्त होता है व जीवन संघर्षरहित व्यतीत होता है।
बुध-आदित्य योग
परिभाषा
वैदिक ज्योतिष में प्रचलित परिभाषा के अनुसार किसी कुंडली के किसी स्थान में जब सूर्य तथा बुध संयुक्त रूप से स्थित हो जाते हैं तो ऐसी कुंडली में बुध-आदित्य योग का निर्माण हो जाता है।
भविष्यफल
बुध-आदित्य का शुभ प्रभाव जातक को बुद्धि, विशलेषणात्मक क्षमता, वाक कुशलता, संचार कुशलता, नेतृत्व करने की क्षमता, मान, सम्मान, प्रतिष्ठा तथा ऐसी ही अन्य कई विशेषताएं प्रदान कर सकता है। बुध हमारे सौर मंडल का सबसे भीतरी ग्रह है, जिसका अर्थ यह है कि बुध सूर्य के सबसे समीप रहता है तथा बहुत सी कुंडलियों में बुध तथा सूर्य एक साथ ही देखे जाते हैं जिसका अर्थ यह हुआ कि इन सभी कुंडलियों में बुध आदित्य योग बन जाता है जिससे अधिकतर जातक इस योग से मिलने वाले शुभ फलों को प्राप्त करते हैं जो वास्तविक जीवन में देखने को नहीं मिलता क्योंकि इस योग के द्वारा प्रदान की जाने वालीं विशेषताएं केवल कुछ विशेष जातकों ही मिलती है।
वाहन योग
परिभाषा
लग्न भाव का स्वामी यदि किसी कुंडली में ४, ११ और ९ वे भाव में में स्थित हों तो ऐसी कुंडली में वाहन योग बनता है।
भविष्यफल
आप को एक अच्छा भौतिक सुख प्राप्त होगा। आप के पास एक से ज्यादा वाहन होंगे। आप एक बेहतरीन जिंदगी जियेंगे।
धृष्टुवा योग
परिभाषा
९ वें के स्वामी को उच्च या अपने स्वयं के राशि में हो और९ वें को उपरोक्त योग के लिए एक शुभ ग्राह (चंद्रमा, बुध, शुक्र या बृहस्पति) होना चाहिए।
भविष्यफल
आपके पास उदारता का प्रतीक होगा। आप उदारता की वृत्ति रखने के लिए भाग्यशाली होंगे। आप बिना किसी लाभ-उद्देश्य के मनोरंजन के लिए उपहार दे रहे होंगे, केवल धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए।
राज योग
परिभाषा
बृहस्पति चंद्रमा से लग्न और केंद्र से ५ वें में होना चाहिए और लग्न एक निश्चित संकेत (वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुंभ) और लग्न भगवान एक राजयोग के लिए १० वें स्थान पर कब्जा करना चाहिए ।लग्न होने से चंद्रमा के साथ वृषभ राशि में, १० वें स्थान में शनि, चौथे स्थान में सूर्य और बृहस्पति को ७वें स्थान पर भी कब्जा करना होगा जिसके परिणामस्वरूप राज योग बन जाता है।यदि केंद्र के स्वामी (पहला, चौथा, 7 या 10वां स्थान) त्रिकोण (१, ५ या ९ वें स्थान) के स्वामी के साथ आदान-प्रदान में है, तो यह राज योग भी बनाता है ।
भविष्यफल
यह योग आपको ऊंचा करने में सक्षम है, भले ही आप विनम्र परिवेश में पैदा हों, शासक की स्थिति में हों । यह आपको राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम और प्रसिद्धि के साथ आशीर्वाद देगा। किसी सरकारी या निजी संगठन में आपको नाम, यश, सत्ता और अधिकार की स्थिति का आशीर्वाद मिलेगा।
काल सर्प दोष
राहु और केतु क्रमशः चंद्रमा के आरोही और अवरोही नोड्स के वैदिक नाम हैं। संस्कृत शब्द काल के कई अर्थ हैं, जिनमें से एक समय है। सर्प का अर्थ है सर्प। काल सर्प दोष एक ऐसी घटना है जिसमें राहु और केतु से जुड़ी सर्पीली ऊर्जा खुद को अन्य ग्रहों के चारों ओर उलझा लेती है, जिससे ग्रहों की किरणें संकुचित और बाधित हो जाती हैं।
काल सर्प दोष 12 प्रकार के होते हैं। जन्म कुंडली में इस योग की उपस्थिति व्यक्ति के जीवन को दुखी और नुकीला बना सकती है। यह योग सामान्य रूप से चिंता और कठिनाई देता है। इसका मतलब यह नहीं है कि काल सर्प योग व्यक्ति के पूरे जीवन को खराब कर देता है। यह कर्म का बोझ है जो व्यक्ति को कुछ कठिनाइयों के माध्यम से महत्वपूर्ण सबक सिखाता है। यह एक अनूठी ऊर्जा बनाता है जो या तो कुछ महान बना सकती है या अच्छाई को नष्ट कर सकती है।
सौभाग्य से, काल सर्प दोष मौजूद नहीं है इसलिए आपको इन सभी समस्याओं के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए। धन्य महसूस हो रहा है....
मंगल दोष
7 घर में मंगल
गणेशजी कहते हैं, कि आपको अपने साथी के साथ आक्रामक वाद-विवाद से बचना चाहिए। साथी के साथ व्यवहार करते समय शांत रहने की कोशिश करनी चाहिए। बातचीत में आप अपने साथी से असहमत हो सकते हैं, और हर चीज के बारे में पूरी तरह से अलग मत रख सकते हैं, जिससे विवाद बढ़ सकता है। आप अपने साथी को 'बस' करने की इच्छा भी रख सकते हैं, और जिस पल आपको लगेगा, कि साथी आपका 'आदेश' नहीं मान रहा है, तो आप बुरी प्रतिक्रिया भी दे सकते हैं। आपको साथी के साथ बहस में पड़ने के बजाय विचारशील, विनम्र होकर प्यार से मिलजुल कर जीवन को खुशहाल बनाना चाहिए।
सामान्य जानकारी
नाम | ROMANG PATEL |
लिंग | पुरुष |
जन्म की तारीख़ | 23 September, 1998 बुधवार |
जन्म का समय (घंटे-मि.-से.) | 16:35:00 PM मानक समय |
समय क्षेत्र (घंटे-मि.) | +05:30 ग्रीनविच रेखा के पूर्व से |
चंद्र राशि | तुला |
लग्न | मकर |
सूर्य राशि (Western) | तुला |
जन्म स्थान | Vadodara |
देश | India |
देशांतर और अक्षांश (डिग्री-मि.) | 73.12 East, 22.18 North |
अयनांश गणना | चित्र पक्ष = 23डिग्री. 50मि. 05से. |
ज्योतिषीय विवरण
राशि का स्वामी | शुक्र |
नक्षत्र का स्वामी | मंगल |
चरण | 4 |
नाम अक्षर | Ra, Ta | र, त |
नक्षत्र चरण अक्षर | री (Ree) |
पाया | तांबा |
लग्न स्वामी | शनि |
आत्म करक -(आत्मा करकामासा) : | बृहस्पति |
अमात्यकारक (बुद्धि/मन) | मंगल |
दशा प्रणाली | विमशोत्तरी, वर्ष = 365.25 दिन |
पंचांग विवरण
सूर्योदय (घंटे-मि.) | 06:26 |
सूर्यास्त (घंटे-मि.) | 18:33 |
स्थानीय माध्य समय (LMT) | 21:39:20 |
साप्ताहिक दिन | बुधवार |
जन्म तारा/नक्षत्र | चित्रा |
तिथि (चंद्र दिवस) | शुक्ल पक्ष तृतिया |
करण | गर |
नित्य योग | इंद्र |
भाग्यशाली बिंदु
अनुकूल दिन | शनिवार, बुधवार और शुक्रवार |
अनुकूल रंग | बैंगनी |
भाग्यशाली अंक | 10,11 |
प्रेरक देवता | शिव जी |
भाग्यशाली दिशा | दक्षिण |
भाग्यशाली अक्षर | व, ल, ज और ख |
अनुकूल धातु | चांदी,लोहा |
करण | गर |
नित्य योग | इंद्र |
वर्ग | मृग |
वर्ण | क्षूद्र |
तत्त्व | वायु |
वश्य | मानव |
योनि | व्याघ्र |
गण | राक्षस |
युंजा | मध्य |
नाडी | मध्य |
अवकहडा चक्र विवरण
यहां दिखाई गई तालिका या सारणी में विभिन्न ज्योतिषीय शब्द हैं, जो आपके चंद्रमा की स्थिति से प्राप्त किए गए हैं। इसलिए, यह तालिका वैदिक ज्योतिष में बहुत उपयोगी है, क्योंकि यह आपकी व्यक्तिगत जानकारी को दर्शाती है। यह जातक की दूसरों के साथ संगतता या अनुकूलता निर्धारित करने में मदद करती है।
घात चक्र वर्णन
जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है, घात का शाब्दिक अर्थ होता है नकारात्मक या अशुभ । यह सारणी आपकी व्यक्तिगत कुंडली की नकारात्मक घटनाओं को दर्शाती है। जिनकी आपको अतिरिक्त देखभाल करनी चाहिए और सावधान रहना चाहिए। साथ ही कोई शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले कुंडली के अनुसार बताये गए दिन, तिथि, वार महीना और नक्षत्र को टालना चाहिए। ताकि किसी प्रकार की असुविधा से बचा जा सके।
माह | मघा |
तिथि | शुक्ल पक्ष चतुर्थी, शुक्ल पक्ष नवमी, शुक्ल पक्ष चतुर्दशी, |
दिन | गुरुवार |
नक्षत्र | शतभिषा |
योग | शुक्ल |
करण | तैतिल |
प्रहर | चतुर्थ |
पुरुष चंद्र | धनु |
स्त्री चंद्र | मीन |
निरयन ग्रह
नीचे दी गई तालिका में "निरयन या नक्षत्रीय ग्रहों की स्थिति" दिखाई गई है, जो एक सटीक जन्म कुंडली देने के लिए बहुत आवश्यक होती है।
तालिका में दिखाए गए ग्रह देशांतरों का उपयोग अन्य विभागीय कुंडली (वर्ग कुंडली) के निर्माण में किया जाता है।
ग्रह | वक्री/प्रतिगामी | राशि | डिग्री | राशि स्वामी | नक्षत्र | नक्षत्र स्वामी | घर |
---|---|---|---|---|---|---|---|
लग्न | - | मकर | 29:39:0 | शनि | धनिष्ठा | मंगल | प्रथम |
सूर्य | ना | कन्या | 06:23:09 | बुध | उत्तराफाल्गुनी | सूर्य | नवम |
चंद्र | ना | तुला | 06:30:15 | शुक्र | चित्रा | मंगल | दशम |
मंगल | ना | कर्क | 27:29:27 | चंद्र | अश्लेषा | बुध | सप्तम |
बुध | ना | कन्या | 04:23:42 | बुध | उत्तराफाल्गुनी | सूर्य | नवम |
बृहस्पति | हां | कुंभ | 28:15:13 | शनि | पूर्वभाद्रपदा | बृहस्पति | द्वितिय |
शुक्र | ना | सिंह | 26:49:05 | सूर्य | उत्तराफाल्गुनी | सूर्य | अष्टम |
शनि | हां | मेष | 08:33:04 | मंगल | अश्विनी | केतु | चतुर्थ |
राहु | हां | सिंह | 05:49:18 | सूर्य | मघा | केतु | अष्टम |
केतु | हां | कुंभ | 05:49:18 | शनि | धनिष्ठा | मंगल | द्वितिय |
हर्षल | ना | मकर | 15:14:27 | शनि | श्रवण | चंद्र | प्रथम |
नेप्चून | ना | मकर | 05:38:27 | शनि | उत्तराषाढा | सूर्य | प्रथम |
प्लूटो | ना | वृश्चिक | 11:51:22 | मंगल | अनुराधा | शनि | एकादशम |
क्या है अष्टक वर्ग?
अष्टक वर्ग सिद्धांत वैदिक ज्योतिष के सबसे उत्कृष्ट भविष्यवाणी सिद्धांतों में से एक है। अष्टक वर्ग सिद्धांत की सहायता से कुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर कर्म फल ज्ञात करने के लिए बिंदु प्रणाली का उपयोग किया जाता है। 'अष्ट' का अर्थ होता है 'आठ' और 'वर्ग' का अर्थ 'वर्गीकरण', इसलिए अष्टक वर्ग सिद्धांत का अर्थ है, आठ गुना वर्गीकरण। यह आठ तह में स्थित लग्नों सहित, ग्रहों और भावों की शक्ति का निर्धारण करता है। शक्ति का निर्धारण करते समय चंद्रमा की स्थिति को बाहर रखा गया है। ग्रहों की शक्ति का निर्धारण कुछ निश्चित सुव्यवस्थित नियमों के आधार पर किया जाता है। प्रत्येक ग्रह की शक्ति, साथ ही जातक पर इसके प्रभाव के कारण पड़ने वाली शक्ति और तीव्रता, पूरी तरह से शेष छह ग्रहों की स्थिति और उनके संबंधित लग्न पर निर्भर करती है।
सात ग्रहों और लग्नों की शक्ति को एक तालिका या सारणी के रूप में निर्धारित किया जाता है। इस प्रणाली में, ग्रहों और लग्नों को संदर्भ बिंदु के रूप में उपयोग किया जाता है, और उनमें से प्रत्येक को 8 पूर्णांक दिए गए हैं। ग्रहों और लग्नों को 0 से 8 तक अंक दिए जाते हैं, जो किसी जातक की कुंडली में अलग-अलग राशियों पर स्थित होते हैं। यह किसी एक ग्रह के गोचर के दौरान किसी दूसरे ग्रह पड़ने वाले शुभ या अशुभ प्रभावों की संभावना को भी निर्धारित करता है। समस्त प्रमुख और अमुख्य घटनाएं और उनके घटने के समय की गणना मुख्य रूप से कुछ बिंदुओं की स्थिति से निर्धारित किया जाता है। प्राप्तांक परिणाम पूर्ण रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि कोई ग्रह किसी दूसरे ग्रह के साथ कितना शुभ या अशुभ प्रभाव उत्पन्न करता है। प्रत्येक ग्रह अलग-अलग अंक प्राप्त करता है, जो प्रत्येक जातक के लिए अद्वितीय होता है, और उन्हें यह जानने में मदद करता है, कि कोई ग्रह विशेष उनके लिए कितना अनुकूल है।
जो ग्रह 0 अंक प्राप्त करता है, उसे सबसे अशुभ माना जाता है, 1 से 3 अंक प्राप्त करने पर हीन या निम्न माना जाता है, 4 अंक प्राप्त करने पर तटस्थ या उदासीन और 5 से 8 अंक प्राप्त करने पर शुभ और भाग्यशाली माना जाता है। जातक ग्रहों के नकारात्मक या सकारात्मक प्रभाव के आधार पर उपचारात्मक उपाय कर सकते हैं। वे इसके प्रभाव के कारण होने वाले संभावित परिणामों के बारे में जानकारी प्राप्त कर, स्वयं को इसके बुरे प्रभाव से बचा सकते हैं। अष्टकवर्ग सारणी में ग्रहों के प्राप्तांक, भविष्य में होने वाले संभावित परिणामों से अवगत होने में जातक की मदद करने के लिए सबसे अच्छे मार्गदर्शकों में से एक होते हैं।
प्राप्तांक बनाम प्रभाव
प्राप्तांक | प्रभाव |
0 | अशुभ |
1-3 | निम्न |
4 | तटस्थ |
5-8 | शुभ |
ग्रह | सूर्य | चंद्र | मंगल | बुध | बृहस्पति | शुक्र | शनि | कुल |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|
मेष | 4 | 5 | 2 | 4 | 6 | 3 | 4 | 28 |
वृषभ | 4 | 3 | 1 | 5 | 6 | 5 | 2 | 26 |
मिथुन | 4 | 5 | 3 | 3 | 6 | 5 | 7 | 33 |
कर्क | 7 | 3 | 6 | 6 | 4 | 3 | 4 | 33 |
सिंह | 3 | 4 | 2 | 6 | 4 | 5 | 3 | 27 |
कन्या | 1 | 4 | 0 | 3 | 6 | 5 | 3 | 22 |
तुला | 5 | 3 | 3 | 4 | 4 | 3 | 2 | 24 |
वृश्चिक | 3 | 6 | 5 | 5 | 4 | 7 | 2 | 32 |
धनु | 5 | 5 | 3 | 3 | 4 | 5 | 4 | 29 |
मकर | 4 | 2 | 7 | 7 | 4 | 4 | 3 | 31 |
कुंभ | 4 | 4 | 4 | 5 | 5 | 4 | 2 | 28 |
मीन | 4 | 5 | 3 | 3 | 3 | 3 | 3 | 24 |
-- | 48 | 49 | 39 | 54 | 56 | 52 | 39 | 337 |
स्थायी मित्रता
यहाँ मित्रता से तात्पर्य है कि एक ग्रह दूसरे ग्रह के साथ कितना मैत्री व्यवहार करता है। ग्रहों की इस प्रकार की मित्रता या अनुकूलता उनकी प्रकृति और प्राकृतिक गुणों पर आधारित होती है। इस प्रकार ग्रहों के भी कुछ प्राकृतिक मित्र और शत्रु होते हैं। कभी-कभी वे कुछ ग्रहों के साथ उदासीन या तटस्थ भी रहते हैं।
ग्रह | सूर्य | चंद्र | मंगल | बुध | बृहस्पति | शुक्र | शनि |
---|---|---|---|---|---|---|---|
सूर्य | -- | मित्र | मित्र | तटस्थ | मित्र | दुश्मन | दुश्मन |
चंद्र | मित्र | -- | तटस्थ | मित्र | तटस्थ | तटस्थ | तटस्थ |
मंगल | मित्र | मित्र | -- | दुश्मन | मित्र | तटस्थ | तटस्थ |
बुध | मित्र | दुश्मन | तटस्थ | -- | तटस्थ | मित्र | तटस्थ |
बृहस्पति | मित्र | मित्र | मित्र | दुश्मन | -- | दुश्मन | तटस्थ |
शुक्र | दुश्मन | दुश्मन | तटस्थ | मित्र | तटस्थ | -- | मित्र |
शनि | दुश्मन | दुश्मन | दुश्मन | मित्र | तटस्थ | मित्र | -- |
अस्थायी मित्रता
ग्रहों की इस प्रकार की मित्रता, इस बात पर निर्भर करती है कि किसी भी कुंडली में ग्रहों को कैसे दर्शाया गया है। जो ग्रह किसी जातक की कुंडली के दूसरे, तीसरे, चौथे, 10 वें, 11 वें और 12 वें भाव में स्थित होते हैं, वे अस्थायी मित्र माने जाते हैं। जबकि शेष बचे हुए ग्रहों को अस्थायी शत्रु माना जाता है।
ग्रह | सूर्य | चंद्र | मंगल | बुध | बृहस्पति | शुक्र | शनि |
---|---|---|---|---|---|---|---|
सूर्य | -- | मित्र | मित्र | दुश्मन | दुश्मन | मित्र | दुश्मन |
चंद्र | मित्र | -- | मित्र | मित्र | दुश्मन | मित्र | दुश्मन |
मंगल | मित्र | मित्र | -- | मित्र | दुश्मन | मित्र | मित्र |
बुध | दुश्मन | मित्र | मित्र | -- | दुश्मन | मित्र | दुश्मन |
बृहस्पति | दुश्मन | दुश्मन | दुश्मन | दुश्मन | -- | दुश्मन | मित्र |
शुक्र | मित्र | मित्र | मित्र | मित्र | दुश्मन | -- | दुश्मन |
शनि | दुश्मन | दुश्मन | मित्र | दुश्मन | मित्र | दुश्मन | -- |
पंचधा या यौगिक या दीर्घावधि मित्र
यह प्राकृतिक मित्रता और अस्थायी मित्रता के तहत आने वाले संबंधों के संयोजन या योग है।
ग्रह | सूर्य | चंद्र | मंगल | बुध | बृहस्पति | शुक्र | शनि |
---|---|---|---|---|---|---|---|
सूर्य | -- | परम मित्र | परम मित्र | दुश्मन | तटस्थ | तटस्थ | विकट शत्रु |
चंद्र | परम मित्र | -- | मित्र | परम मित्र | दुश्मन | मित्र | दुश्मन |
मंगल | परम मित्र | परम मित्र | -- | तटस्थ | तटस्थ | मित्र | मित्र |
बुध | तटस्थ | तटस्थ | मित्र | -- | दुश्मन | परम मित्र | दुश्मन |
बृहस्पति | तटस्थ | तटस्थ | तटस्थ | विकट शत्रु | -- | विकट शत्रु | मित्र |
शुक्र | तटस्थ | तटस्थ | मित्र | परम मित्र | दुश्मन | -- | तटस्थ |
शनि | विकट शत्रु | विकट शत्रु | तटस्थ | तटस्थ | मित्र | तटस्थ | -- |
जन्म का दिन | बुधवार |
जन्म तारा (नक्षत्र) | चित्रा |
चंद्र दिवस (तिथि) | शुक्ल पक्ष तृतिया |
करण | गर |
नित्य योग | इंद्र |
आपका जन्म हुआ: बुधवार
जैसा कि आप बुधवार को पैदा हुए हैं, तो आपके बहुत सारे दोस्त बनने की संभावना होती है। क्योंकि आप मेलमिलाप और मिलनसार व्यक्ति हैं। आप एक प्रतिभाशाली व्यक्ति हैं, और हर दिन कुछ नया जानने की प्रवर्ति रखते हैं। कभी-कभी, आप त्वरित प्रतिक्रियाएँ देते हैं, और तेजी से सीखने की क्षमता भी रखते हैं। लोगों से संचार करना आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण है। आप तीक्ष्ण बुद्धि वाले हैं, आप सपने देखते हैं और कुछ ही क्षणों में बहुत दूर तक की सोच लेते हैं। आप विद्वान हैं, और आपकी विचार प्रक्रिया वैज्ञानिक और तार्किक होती है।
आपका जन्म-नक्षत्र (तारा): चित्रा
चित्रा नक्षत्र में जन्मे लोग अच्छे स्वास्थ्य का आनंद लेते हैं, और हमेशा अपनी वास्तविक से बहुत कम उम्र के दिखाई देते हैं। बल्कि ये पतले और कमजोर दिखाई दे सकते हैं, लेकिन इनके पास उत्कृष्ट सहनशक्ति और मांसपेशियों की शक्ति होती है। ये लोग अंतर्ज्ञान की शक्ति से पुरस्कृत होते हैं, एक ऐसी गुणवत्ता जो किसी भी ज्योतिषी के लिए जरूरी होती है। इसलिए, ये लोग किसी भी पेशे के लिए उपयुक्त होते हैं, जिसमें लंबी अवधि के लिए पूर्वानुमान की आवश्यकता होती है।
ये लोग दूसरों के वश में रहना पसंद नहीं करते। इसलिए, इन्हें जीवन के हर क्षेत्र में विरोध का सामना करना पड़ता है। ऐसे में मंगल की एक मजबूत स्थिति जातक को दुनिया का सामना करने के लिए आवश्यक साहस देती है।
चंद्र दिवस (तिथि): शुक्ल पक्ष तृतिया
सिंह, मकर
जन्म तिथि के आधार पर परिणामतृतीया तिथि को जन्म लेने वाले जातक धन और संपत्ति से संबंधित कार्य करते हैं। ऐसी संतति को राज्य या सरकार से लाभ मिलता है, और ये पिता के प्रति समर्पित होती है।
करण: गर
गर करण में जन्म लेने वाले जातकों के अंदर पहाड़ों को भी हिला देने और स्थानांतरित करने की ऊर्जा होती है। हालांकि इनको इस ऊर्जा को सक्रीय करने के लिए स्वयं को प्रेरित करने की आवश्यकता होती है। सकारात्मक मानसिकता के साथ, ऐसा कुछ भी नहीं जिसे ये प्राप्त नहीं कर सके। हालांकि, विपरीत आत्म-विनाशकारी क्षमताओं के लिए भी यह बात समान रूप से सच है। ये काम में बहुत प्रभावी होते हैं, जिसमें श्रम भी शामिल है। गणेशजी आपको नियमित अभ्यास करने और इसे हर समय सुनिश्चित करने की सलाह देते हैं।
नित्य योग: इंद्र
इस योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति अच्छी तरह से धनी व्यक्ति होते हैं, और सामाजिक कार्यों या राजनीति में प्रसिद्धि और मान्यता पाते हैं। ये बँगला, गाड़ी, बैंक बैलेंस और जीवन की अन्य विलासिता से संपन्न होते हैं। ये दूसरों की सेवा करते हैं और सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में गिने जाते हैं।
लग्न कुंडली
वैदिक ज्योतिष में, जन्म कुंडली को ही लग्न कुंडली, जन्म पत्री और लग्न पत्री के रूप में भी जाना जाता है। जो राशि आपके जन्म के समय और स्थान पर पूर्व दिशा में उदय होती है, वह आपकी लग्न राशि बन जाती और आपकी लग्न कुंडली या जन्म कुंडली को दर्शाती है। यह कुंडली सभी प्रकार की कुंडलियों में सबसे महत्वपूर्ण कुंडली होती है।
चंद्र कुंडली
वैदिक ज्योतिष के अनुसार भविष्यवाणी करने के लिए चंद्रमा या चंद्र कुंडली का महत्व भी बहुत महत्वपूर्ण है। चन्द्र कुंडली को तैयार करते समय, जन्म के चन्द्रमा को पहले भाव में रखा जाता है, तथा शेष ग्रहों को उसके अनुसार स्थिति दी जाती है। दूसरे शब्दों में कहें तो चंद्रमा को पहले भाव में लाने के लिए हम कुंडली को घूमा देते हैं।
सूर्य कुंडली
सूर्य कुंडली, जन्म के समय सूर्य को पहले घर में रखकर बनाई जाती है। इस कुंडली को सूर्योदय कुंडली के रूप में भी देखा जाता है।
दूसरे शब्दों में कहें तो, सूर्य कुंडली, मात्र सूर्य द्वारा ही निर्धारित की जाती है। इसमें ना तो लग्न की कोई भूमिका होती है और ना ही चंद्र की। इसलिए यह सूर्य कुंडली केवल सूर्य की अभिव्यक्ति के आधार पर हमारी मूल पहचान बताती है।
अष्टक वर्ग कुंडली
वैदिक ज्योतिष के सबसे आसान सिद्धांतों में से एक है अष्टक वर्ग सिद्धांत। जो कुंडली के भाव और ग्रहों की ताकत को भी निर्धारित करता है।
अष्टक वर्ग सिद्धांत में, ग्रहों की शक्ति या भाव की शक्ति का चित्रण कुंडली या सारणीबद्ध प्रारूप में किया जा सकता है।
अष्टक वर्ग कुंडली या तालिकाओं का उपयोग करके, कोई भी कुंडली या सारणी में दिए गए अंकों को देखकर ही कई बातों का निष्कर्ष निकाला जा सकता है।
भाव कुंडली (चालित कुंडली)
वैदिक ज्योतिष में ग्रहों की स्थिति जैसे अक्षांश और देशांतर भविष्यवाणी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहाँ यह भी आवश्यक नहीं होता कि एक राशि या भाव में स्थिति 2 या 2 से अधिक ग्रह उस भाव को प्रभावित करते हों। साधारण भाषा में कहें तो किसी भी राशि में ग्रह की उपस्थिति महत्वपूर्ण नहीं होती। क्योंकि कभी-कभी राशि और भाव एक-दूसरे पर अतिव्यापी हो जाते हैं।
एक भाव कुंडली या चालित कुंडली लग्न कुंडली का ही व्यापक रूप है। इसलिए कह सकते हैं कि चालित कुंडली, लग्न कुंडली से ली गई है।
D2 - होरा कुंडली
होरा कुंडली किसी जातक की धन और वित्तीय समृद्धि के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
होरा कुंडली को 2 भागों में विभाजित किया गया है। जिसमे मात्र दो राशि या लग्न, कर्क व सिंह होते हैं।
जिसके तहत समस्त पुरुष राशि जैसे मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु और कुंभ पहले 15 डिग्री में स्थित होती हैं, जो सिंह राशि के अंतर्गत आती हैं। शेष अगले 15 डिग्री की राशियां, कर्क राशि के अंतर्गत आती हैं। इसी प्रकार समस्त स्त्री राशि जैसे वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर और मीन पहले 15 डिग्री में स्थित होती हैं, जो कर्क अंतर्गत आती हैं। शेष अगले 15 डिग्री की राशियां, सिंह राशि के अंतर्गत आती हैं।
D3 - द्रेष्काण कुंडली
यह कुंडली, जन्म कुंडली के तीसरे भाव के छिपे हुए पहलुओं को ही प्रकट करती है। दूसरे शब्दों में कहें तो द्रेष्काण कुंडली किसी जातक की जन्म कुंडली के तीसरे भाव का ही विस्तृत रूप होती है। तीसरा भाव सहोदरों यानी भाई-बहनों के छिपे हुए पहलुओं, संचार, छोटी दूरी की यात्रा, लेखन, सुनने, ऊपरी बाँह, रिश्तेदारों, पड़ोसियों, बहादुरी, वीरता, साहस, आशावादी, कड़ी मेहनत और साहस को प्रकट करता है
D4 - चतुर्थमांश कुंडली
चौथी विभागीय कुंडली को चतुर्थमांश के नाम से जाना जाता है। यह कुंडली भौतिक आराम और धन भाव पर प्रभाव के लिए भविष्यफल ज्ञात से संबंधित होती है। D-4 कुंडली किसी ग्रह के लक्षण को सत्यापित कर सकती है, जो मूलभूत शारीरिक और सांस्कृतिक प्रतिभूतियों को उत्पादित करता है। चंद्रमा या चंद्र कारक की वास्तविक शक्ति की पुष्टि करने के लिए D-4 कुंडली को ध्यान से देखते हैं।
D5 – पंचमांश कुंडली
पाँचवीं विभागीय कुंडली को पंचमांश कुंडली के रूप में जाना जाता है। यह कुंडली प्रसिद्धि, अधिकार और शक्ति से संबंधित होती है। यह कुंडली ब्रह्मांड के दो पहलुओं अर्थात् - (1) प्राण या आत्मा या ऊर्जा - जातक की आध्यात्मिकता, और (2) भौतिक प्रकृति-जीवन के भौतिक पहलू का प्रतिनिधित्व करती है। पंचमांश विभागीय कुंडली जातक में आध्यात्मिकता और उसके अंदर किसी संत की तरह ब्रह्मांड के दो घटकों (आत्मा और शरीर) को अलग करने की उनकी क्षमता का प्रतिनिधित्व करती है।
D6 - षष्ठमांश कुंडली
D6 विभागीय कुंडली को ही व्यापक रूप से षष्ठमांश कुंडली के रूप में जाना जाता है, जो तकनीकी रूप से एक जन्म कुंडली के छठे भाव द्वारा निरूपित क्षेत्रों से संबंधित होती है। यह विधि ताजिका ज्योतिषीय विद्यालय से ली गयी है। यह कुंडली दैनिक मज़दूरी (नियमित आय), दुश्मनों और प्रतिद्वंद्वीयों, मातृ रिश्तेदारों, वसीयत से लाभ और सेवक-सेवाओं, मुक़द्दमों और ऋण, सामान्य बीमारी का प्रतिनिधित्व करती है। जन्म कुंडली के छठे भाव के संदर्भ रूप में इस कुंडली का विश्लेषण किया जाता है।
D7 – सप्तमांश कुंडली
सप्तमांश कुंडली का डी/7 भाग एक प्रभागीय कुंडली है। जिसका उपयोग बच्चों के जन्म बच्चों से जुड़ी प्रसन्नता के विश्लेषण के लिए किया जाता है। जन्म कुंडली और सप्तमेश कुंडली में 5वें भाव की शक्ति और हीनता हमें बच्चे के जन्म से जुड़ी ख़ुशियों के बारे में एक विचार देती है।
इसके अलावा, गर्भ धारण की अवधि और बच्चे के जन्म के समय का अध्ययन भी सप्तमांश कुंडली के माध्यम से किया जा सकता है।
D8 – अष्टमांश कुंडली
आठवीं विभागीय कुंडली को ही अष्टमांश कुंडली के रूप में जाना जाता है। यह कुंडली मुकदमेबाजी या बड़ी दुर्घटनाओं सहित अचानक और अप्रत्याशित घटनाओं और परेशानियों को इंगित करती है। यह एक व्यक्ति के जीवन में प्रमुख चुनौतियों और संकटों को भी इंगित करती है।
D9 - नवमांश कुंडली
यहाँ नवमांश का अर्थ होता है राशि का 9वां विभाजन। वैदिक ज्योतिष में नवमांश कुंडली को भविष्यवाणी करने के लिए प्रमुख महत्व दिया गया है।
इसे D-9 कुंडली के रूप में भी पहचाना जाता है। नवमांश कुंडली का निर्माण जन्म कुंडली से ही किया गया है, और इसीलिए नवमांश कुंडली जन्म कुंडली के संबंध में ही कार्य करती है।
D10 - दशमांश कुंडली
जन्म कुंडली का 10 वां भाव कर्म या पेशे का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए, दशमांश कुंडली जन्म कुंडली का ही दसवां भाव होती है। इसमें जातक के करियर जीवन के साथ-साथ उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताया जाता है। दशमांश कुंडली करियर का प्रतिनिधित्व करती है और जब किसी के करियर की रूपरेखा तैयार की जाती है, तो इसका उपयोग विस्तृत विश्लेषण के लिए किया जाता है।
D11 - लाभमांश / एकादशमांश कुंडली
यह गैर-पाराशरी प्रभागीय कुंडलियों में से एक है, जो ताजिका ज्योतिष विद्यालय से ली गयी है। एकादशमांश, D 11 कुंडली का ही दूसरा लोकप्रिय नाम है। यह प्रभागीय कुंडली सभी प्रकार के लाभ, आय-धन प्राप्ति, इच्छाओं की पूर्ति, कमाई की प्रकृति, पुरस्कार और मान्यता, लाभ और लाभार्जन, बड़े भाई, भौतिक आनंद, पैर, बाएँ कान, बाएँ ऊपरी अंग, बीमारी से छुटकारा को दर्शाती है। जन्म कुंडली के 11 वें भाव के संदर्भ रूप में इस कुंडली का विश्लेषण किया जाता है।
D12 - द्वादशांश कुंडली
द्वादशांश कुंडली में मूल रूप से माता-पिता (पैतृक और मातृ विरासत) के छिपे हुए पहलुओं का पता चलता है।
इसमें माता-पिता से संबंधित विभिन्न मामले जैसे उनकी सुख-समृद्धि, सामाजिक व वित्तीय स्थिति के साथ-साथ उनसे मिलने वाली ख़ुशी शामिल हैं।
प्रत्येक राशि के 12 भागों पर चार देवताओं का आधिपत्य होता है। इसलिए किसी राशि के स्वामी या अधिपति देवता की अनूठी विधि से पूजा करके हम कुंडली के विभिन्न भागों और यदि आवश्यक हो तो किसी ग्रह विशेष की मजबूती भी प्राप्त कर सकते हैं। ऐसा करके हम किसी ग्रह के हानिकारक प्रभाव को कम कर सकते हैं, फिर भले ही उस ग्रह की दशा या परागमन अवधि ही क्यों न चल रही हो।
पनोति | पाया | अवस्था | प्रवेश की तारीख | अंतिम तारीख |
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छॊटी पनोति | सोनेका पाया | - | 07 Jun 2000 | 23 Jul 2002 |
छॊटी पनोति | सोनेका पाया | - | 08 Jan 2003 | 07 Apr 2003 |
साडे साति | - | पहला चरण | 09 Sep 2009 | 15 Nov 2011 |
साडे साति | - | दूसरा चरण | 15 Nov 2011 | 16 May 2012 |
साडे साति | - | पहला चरण | 16 May 2012 | 04 Aug 2012 |
साडे साति | - | दूसरा चरण | 04 Aug 2012 | 02 Nov 2014 |
साडे साति | - | तीसरा चरण | 02 Nov 2014 | 26 Jan 2017 |
साडे साति | - | तीसरा चरण | 21 Jun 2017 | 26 Oct 2017 |
छॊटी पनोति | लोहेका पाया | - | 24 Jan 2020 | 29 Apr 2022 |
छॊटी पनोति | लोहेका पाया | - | 12 Jul 2022 | 17 Jan 2023 |
छॊटी पनोति | तांबेका पाया | - | 08 Aug 2029 | 05 Oct 2029 |
छॊटी पनोति | चांदी का पाया | - | 17 Apr 2030 | 31 May 2032 |
साडे साति | - | पहला चरण | 22 Oct 2038 | 05 Apr 2039 |
साडे साति | - | पहला चरण | 13 Jul 2039 | 27 Jan 2041 |
साडे साति | - | दूसरा चरण | 27 Jan 2041 | 06 Feb 2041 |
साडे साति | - | पहला चरण | 06 Feb 2041 | 26 Sep 2041 |
साडे साति | - | दूसरा चरण | 26 Sep 2041 | 11 Dec 2043 |
साडे साति | - | तीसरा चरण | 11 Dec 2043 | 23 Jun 2044 |
साडे साति | - | दूसरा चरण | 23 Jun 2044 | 30 Aug 2044 |
साडे साति | - | तीसरा चरण | 30 Aug 2044 | 07 Dec 2046 |
छॊटी पनोति | सोनेका पाया | - | 06 Mar 2049 | 10 Jul 2049 |
छॊटी पनोति | सोनेका पाया | - | 04 Dec 2049 | 25 Feb 2052 |
छॊटी पनोति | तांबेका पाया | - | 27 May 2059 | 11 Jul 2061 |
छॊटी पनोति | सोनेका पाया | - | 14 Feb 2062 | 06 Mar 2062 |
साडे साति | - | पहला चरण | 30 Aug 2068 | 04 Nov 2070 |
साडे साति | - | दूसरा चरण | 04 Nov 2070 | 05 Feb 2073 |
साडे साति | - | तीसरा चरण | 05 Feb 2073 | 31 Mar 2073 |
साडे साति | - | दूसरा चरण | 31 Mar 2073 | 23 Oct 2073 |
साडे साति | - | तीसरा चरण | 23 Oct 2073 | 16 Jan 2076 |
साडे साति | - | तीसरा चरण | 10 Jul 2076 | 11 Oct 2076 |
छॊटी पनोति | तांबेका पाया | - | 14 Jan 2079 | 12 Apr 2081 |
छॊटी पनोति | लोहेका पाया | - | 03 Aug 2081 | 06 Jan 2082 |
छॊटी पनोति | सोनेका पाया | - | 18 Jul 2088 | 31 Oct 2088 |
छॊटी पनोति | चांदी का पाया | - | 05 Apr 2089 | 19 Sep 2090 |
छॊटी पनोति | चांदी का पाया | - | 25 Oct 2090 | 21 May 2091 |
साडे साति | - | पहला चरण | 11 Oct 2097 | 03 May 2098 |
प्राथमिक समाधान: आपके लिए सर्वाधिक आदर्श रत्न
कृपया ध्यान दें: एक सीमित अवधि के लिए हम खूबसूरती से डिजाइन की गई पंचधातु की अंगूठी की पेशकश कर रहे हैं, बिल्कुल मुफ्त! इसका मतलब है, अब आपको केवल रत्न के लिए भुगतान करना होगा!
रत्न की ऊर्जा
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है, कि एक रत्न शक्तिहीन होता है, जब तक कि वह सही तरीके से सक्रिय न हो। इससे पहले कि आप इसे पहन सकें, रत्न को शुद्ध करने और सभी अशुद्धियों से मुक्त करने की आवश्यकता होती है।
लेकिन, आपको प्रक्रिया और अनुष्ठानों के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, जैसा कि, हमने गणेशस्पीक्स.कॉम पर आपके लिए विशेष रूप से एक रत्न को शुद्ध करने, सक्रिय करने और आकर्षित बनाने के लिए एक पारंपरिक और प्रामाणिक विधि विकसित की है! यह हमारे गहन शोध तथा वेदों और संबंधित ज्योतिष शास्त्रों की समझ पर आधारित है।
इसलिए, आप जो रत्न मंगवाते हैं, वह पहनने के लिए तैयार होता है!
आपके लिए पूजा:
इसके अलावा, हम आपको हमारी शुक्र ग्रह पूजा सेवा का लाभ उठाने की भी सलाह देते हैं जो शुक्र ग्रह की ऊर्जा को संतुलित करने के लिए बहुत आवश्यक है।
परिचय
शुक्र का संबंध हर उस चीज से है जो लग्जरी और आराम प्रदान करने का कार्य करती है। परिष्कृत, कलात्मक, सुरुचिपूर्ण चीजें, आभूषण, कला, संगीत भी शुक्र से शासित होता है। शुक्र एक प्राथमिक ग्रह है जो जीवन के सभी क्षेत्रों में हमारे रिश्तों पर राज करता है। यह आनंद लेने और संतुलित होने की हमारी क्षमता का भी प्रतिनिधित्व करता है। वैदिक ज्योतिष में शुक्र प्रेम, सुंदरता और वित्त का ग्रह है। शुक्र ग्रह को अपनी जन्म कुंडली में मजबूत करने के प्रभावी और आसान तरीकों में से एक शुक्र पूजा है।
यह काम किस प्रकार करता है ?
शुक्र पूजा को पारंपरिक शुक्र मंत्र के 16000 बार जप के साथ षोडशोपचार चरणों के साथ किया जाता है। पूजा में होम (हवन) अनुष्ठान भी शामिल है जिसमें घी, सीसम, जौ और भगवान शुक्राचार्य (शुक्र) से संबंधित अन्य पवित्र सामग्री अग्नि को शुक्र के 1600 मंत्रों के साथ समर्पित की जाती है। हमारी कुंडली में शुक्र ग्रह के सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाने और अधिकतम सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिए यज्ञ एक महत्वपूर्ण उपाय है। पूजा सबसे अच्छे मुहूर्त यानी शुक्रवार या शुक्र के नक्षत्र के दिन की जाएगी। शुभ मुहूर्त के दौरान पूजा को पूरा करने के लिए गणेशास्पीक्स एक आचार्य के नेतृत्व में 4 पुजारियों की एक टीम नियुक्त करेगा जो वैदिक अनुष्ठानों को शास्त्रानुसार पूरा करेंगे।
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